यतो धर्मस्ततो जय :।। मतलब विजय वही है जहा धर्म है । अब सवाल ये है की धर्म का मतलब क्या है ? क्या कर्मकाण्ड का पालन करना ही धर्म है । आप डरना म़त मै आपको जात या धर्म के ऊपर lecture नही दे रही हु अरे मेरे जैसा पापी इन्सान धर्म के बारेमे क्या उपदेश कर सकता है यह ठेका तो हिंदुत्ववादी संघटन ने ले रखा है क्या करे भाई जिसके हाथ मै डंडा उसकी भैस वैसे यह डंडा सभी धर्म के कुछ खास लोगों के पास है इनका जभी मन करता है तब ये लोग अपने डंडे का इस्तमाल करते है धर्म नाम की भैस को - की मारने के लिए अब मै इस टोपिक पर ज्यादा बात नही करना चाहती धार्मिक भावनाओ का सवाल है ।
हमारे देश मै जब देखो तब किसिना किसी की धार्मिक भावनाओ को ठेस पहुचती है कभी एम् ऍफ़ हुसैन कभी डा विन्सी कोड तो कभी मोहमद बैगंबर की चित्रों की वजहसे ।" कभी -कभी "मेरे मन मै भी खयाल आता है की अगर सब लोग नास्तिक होते तो कितना अच्छा होता किसी की धार्मिक भावनाओ को ठेस नही पोहच्ती नाही धार्मिक तणाव निर्माण होते और ना कीसी को राम के नाम पे चुनाव लड़नेकी नौबद आती लेकिन वक्त के नुसार अब यह परिस्तिथी बदलती नजर आरही है ( मिरज ) अफजहल खान वधके चित्र को लेकर अब मुसलमानों की भावनाए दुखी है ।मीरज मे जो कुछ भी हुआ वो सबको पता है की वो पॉलिटिकल स्टंट था क्यू की महाराष्ट्र मे इनदिनों इलेक्शन का माहोल है और ये तो हमारे politicians का काम है भाई शुक्राचार्य की भूमिका निभाना इनका शुक्राचार्य की भूमिका निभाना जन्म सिद्ध अधिकार है लेकिन मुस्लमानो ने (अप) शकुनी रूप धारण क्यू किया ? अरे भाई अफझल खान आपका कोन लगता है जो आप अफजहल खान वध चित्र देखकर इतने फडफडाये यह म़त भूलना की आप हिंदुस्तान मे रहते हो । आपको हम लोगोनो ने पाल क्या लिए आप उल्टा हमी पर भोकने लगे कुत्ते तो फिरभी इमानदार होते है तो आप किस category से belong करते हो ? और वैसे भी जब कुत्ता पागल होता है तो उसे जान से मार देने मे ही सबकी भलाई होती है ।लेकीन क्या करे हमारे माय बाप सरकार को ऐसे कुत्तोको पालने की शिक्षा उनके पुर्वजोसे मिली है क्यू के उनके पूर्वज के हात मे भी डंडा था ना मुझे पता है मै ऐसे विषयो पर अपनी राय देना मतलब सूरज को दिये से रौशनी दिखाना लेकिन एक हिन्दुस्तानी होने के कारण मै मेरे देश मै धर्म के नाम पे किए जानेवाली राजनीती नही देख सकती । क्यू धर्म और जात के नाम पे लोकतंत्र का बलात्कार कर रहे हो भाई कभी कभी सोचती हु के अगर हमारे देश मै सिर्फ हिन्दू रहते तो क्या देश की शांती बनी रहती ? शायद नहीं क्यू के ऐसा होता तो पंचायत, विधानसभा, लोकसभा, राज्यसभा जैसे देश के सर्वोच्च सदन मै अपने आपको अल्पसंख्यांक कहनेवाले कथित हिन्दुस्तानी RESARVATION के नाम पे घुसपैट नहीं करते शादी के लिए हमरी माँ ये अपने बच्चोके लिए अपने जात का लड़का या लडकी नहीं खोजते और नाही मंदिरों मै सिर्फ ब्राम्हण जात का पुजारी होता पता है कई लोग धर्म या जात पर विश्वास नहीं रखते ये परिस्तिथी अब बदल गयी है लेकीन पूरी नहीं बदली ना ? यार हम सब अपने आपको हिन्दुस्तानी क्यू नहीं समजते देश और धर्मसे ज्यादा हम क्यू अल्प्संखयोके के नाम पे राजनीती करते है
यतो धर्मस्ततो जय :। विजय वही है जहा धर्म है और हमारे महाभारतीय पुरूष श्रेष्ठियोने धर्म के बारेमे कहा है की कर्मकाण्ड का पालन करना धर्म नही है बल्कि समाज के हित मै किए जाने वाली हर एक बात धर्म का पालन करना होता है । और मै मानती हु की हिन्दू धर्मं नहीं हिन्दू हमारे देश की संस्कृति है और हिंदुस्तान का हर एक इन्सान हिन्दू है चाहे वो मुसलमान हो या ख्रिस्ती
जय हिंद
5 टिप्पणियां:
यती जी आपकी काफी बातें सच हैं। लेकिन एक तरफ आप लिख रही हैं कि अफजल खां का मामला पालीटिकल है अगर ऐसा है तो आम मुसलमान को उससे कोई लेना देना नहीं। ऐसे में सभी मुसलमानों को इस मामले में लपेटना जंचता नहीं है। जहां तक appeasement की बात है ये सच है लेकिन इसमें भी मुस्लिमो के बजाए pseudo secular राजनेता जिम्मेदार हैं।
यति आपने इस लेख में अपना कॉन्सेप्ट क्लियर नही किया.कभी आप लोकतंत्र की बात करती हो,तो कभी राष्ट्रीयता की बात करती हो और अचानक अपनी लेखनी से उग्र हिन्दू विचार उगलती हो...बेशक हम इस बात का समर्थन करते है कि हिन्दू राष्ट्रीयता है न कि धर्म...इसे स्वीकारने में कोई हर्ज नही है और भारत का प्रत्येक नागरिक हिन्दू है..लेकिन अगर आप अपना काँसेप्ट और क्लियर कर पाए तो अच्छा होगा…हिन्दूत्व एक जीवनशैली है ये सर्वविदित है...वन्दे मातरम....
jahir si baat hai amit ji mai marathi bhashik hu to hindi mai apne aap ko utna express nahi kar sakti... or muje pata nahi aap miraj riot key baremai kya jante ho .. maine uske baremai likha hai ...
सर्वप्रथम "मज पामराने" धर्म या अजस्त्र विषयावर मत माड़ंने हे काहिसे धाड़साचे ठरेल,पण भौतिकवाद, भ्रष्टाचार आणि पाश्चात्य संस्कृतीच्या वाढत्या प्रभावातहेी जेीवणसर्घंषाला बळ देणाय्रा या शिस्तबध्द आचारसहितेचे अनंत उपकार स्मरुन मी सदर मत माड़ंत आहे.....
"यतो धर्मस्ततो जय :।।" हे संस्क्रुत सुभाषित मनाला थेट महाभारताचेी सहल करवुन आणते....धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे या सामरिक भुमिवर् ऐकमेकांसमोर उभ्या ठाकलेल्या अर्जुन-दुर्योधन आणेी श्रीकृष्णाचा धर्म एकच होता तरेी भगवाण अर्जुनाच्या बाजुने उभे राहिले.इथे श्रीकृष्ण हे पात्र "निर्सगाच्या नियमांचे" सिमंबॉलेीक रिप्रेसेनटेशण आहे...जेी जेी व्यक्ति नेीति आणि न्यायाच्या मार्गाने वाटचाल करेल...त्याची धर्म ,देव, येशु, अल्ला(निर्सगाचे नियम)शेषधारी नागाप्रमाणे फण्याची सावली उभारुन पाठीराखण करेल, मग भले तो स्वतःला ख्रिश्चन इस्लाम हिंदु
बौद्ध शीख जैन ज्यू किंवा काहिही म्हनउन घेत असेल...कारण निसर्गाकड़े पार्सलिटी नसते..
म्हनुनच समुद्र,पाऊस,वायु यांना देव माननाय्रा भारतालाहि वादळ,भुंकप ईत्यादि नैर्सगिक आपत्तीलां तोंड द्यावे लागते....
त्यामुळे कर्मकाण्डासारख्या वायफळ गोष्टिपेक्षा संस्क्रुतेीप्रधान धर्माचि उपासणा केली पाहीजे...तेव्हा कुठे आपल्याला माऊलींनीं प्रबोधलेल्या विश्व स्वर्धम सुर्याचा साक्क्षातकार होइल..
एक लाइन बहुत अच्छी लगी, हिन्दी शान और मराठी अभिमान, बहुत अच्छे.. इसका उल्टा भी लिखती तो कोई फर्क नहीं पड़ता.. मुझे लगता है हिंदी बंगाली उड़िया मराठी तमिल तेलुगु सब पर शान और अभिमान है.. ये बात ठाकरे खानदान को समझाइए.. आपकी मराठी अच्छी है.. आप बेहतर बता सकती हैं उन्हें.. मराठे तो वाकई शान रहे भी हैं.. वो क्यों कालिख पोतने पर तुले हैं
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